Monday, July 21, 2008

Jo Beet Gayi So Baat Gayi (जो बीत गयी सो बात गयी)

मेरी प्रिय कविताओ मे से एक :

जीवन मे एक सितारा था,
माना वो बेहद प्यारा था ।
वो डूब गया तो डूब गया,
अम्बर के आनन को देखो ।
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे ।
जो छूट गये फिर कहा मिले ?
पर बोलो टूटे तारो पर
कब अम्बर शोक मनाता है ?
जो बीत गयी सो बात गयी ...

जीवन मे था वो एक कुसुम,
थे उस पर नित्य न्योछावर तुम ।
वो सूख गया तो सूख गया,
मधुवन की छाती को देखो ।
सूखी कितनी इसकी कलिया
जो मुरझाई फिर कहा खिली ?
पर बोलो सूखे फूलो पे
कब मधुवन शोक मनाता है ?
जो बीत गयी सो बात गयी ...

जीवन मे मधु का प्याला था,
तुमने तन मन दे डाला था ।
वो टूट गया तो टूट गया,
मदिरालय का आन्गन देखॊ ।
कितने प्याले हिल जाते है,
गिर मिट्टी मे मिल जाते है ।
जो गिरते है कब उठते है ?
पर बोलो टूटे प्यालो पे
कब मदिरालय पछ्ताता है ?
जो बीत गया सो बात गयी ...

म्रदु मिट्टी के है बने हुए
मधु घाट फूटा ही करते है ।
लघु जीवन लेके आये है,
प्याले टूटा ही करते है ।
फिर भी मदिरालय के अन्दर,
मधु के घाट मधु के प्याले है ।
जो मादकता के मारे है,
वो मधु लूटा ही करते है ।
वो कच्चा पीने वाला है,
जिसकी ममता घाट प्यालो पर ।
जो सच्चे मधु से जला हुआ,
कब रोता चिल्लाता है ?

- हरिवन्श राय बच्चन

No comments: