Wednesday, May 13, 2009

Hum (हम)

मैं और तुम,
हम दोनों,
दुनिया की नज़र में,
दो अलग जिस्म,
दो अलग जान हम।

तुम शायद ना जानो,
शायद ना मानो,
कि हम बने हैं साथ
रहने के लिए,
साथ जीने के लिए।

मेरी आँखें खुली हैं सदा,
इसी इंतज़ार में कि कब,
तुम्हें इल्म हो कि अब,
हम एक हो यही सही है,
वक्त की ज़रूरत है।

कोई गम नहीं मुझे,
अगर वक्त मेरा साथ ना दे,
मोहब्बत में शर्त कैसी?
ये तो है एक पाक एहसास,
जो है ना किसी का मोहताज़।

मुझे फ़िक्र नहीं दुनिया की,
यहाँ सब मतलब के साथी,
अगर हम साथ तो,
हर मुश्किल हर परेशानी,
फूलों की सेज सरीखी।

तुम बस एक बार एक नज़र भर,
कह दो कि मैं और तुम अब हैं हम,
तुम्हारी कसम,
उस पल से पुराने सब किस्से खत्म,
और नए आयाम छूने उड़ चले हम।

-प्रत्यूष गर्ग Pratyush Garg
१३-०५-०९ 13-05-09

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