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This song inspired Anurag Kashyap to make his best masterpiece till date, 'Gulaal'. So, I thought to share it with all. The particulars of the song are:
Movie-Pyaasa(1957)
Music-Sachin Dev Burman
Lyrics-Saahir Ludhiyanavi
Singer-Mohammad Rafi
ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,
ये इन्साँ के दुश्मन समाजों की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रिवाज़ों की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
हर एक जिस्म घायल, हर एक रूह प्यासी,
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी,
ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
यहाँ एक खिलौना है इन्साँ की हस्ती,
यहाँ बसती है मुर्दा-परस्तों की बस्ती,
यहाँ तो जीवन से है मौत सस्ती,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
जवानी भटकती है बदकार बन कर,
जवाँ जिस्म सजते हैं बाज़ार बन कर,
यहाँ प्यार होता है व्यापार बन कर,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है,
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है,
यहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
जला दो इसे फूँक डालो ये दुनिया,
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया,
तुम्हारी है तुम ही सम्भालो ये दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?
1 comment:
A wonderful song with so much relevance to today's world!!
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