Monday, November 16, 2009

Baazaar (बाज़ार)

देवियों और सज्जनों,
आइए आइए यहाँ पर बाज़ार लगा है,
जहाँ सब कुछ बिकता है।
चमकीले लिबासों में सजा,
यहाँ सब कुछ मिलता है।

यहाँ हर चीज़ की कीमत है,
बस चुकाने वाला चाहिए।
दिल को बड़ा कर बोली लगाइए,
फिर कीमत चुकाइए,
और घर ले जाइए।

यहाँ इंसान बिकते हैं,
और उनके अरमान भी,
ज़मीर खरीदे बेचे जाते हैं।
कीमत मिलने का वायदा मिले,
तो जज़्बात भी बिक जाते हैं।

ये बाज़ार बड़ा ज़ालिम है बाबू,
जो दिखता है बस वही बिकता है।
यहाँ जंगल का कानून है लागू,
जो गिरा पड़ा है,
वो रौंद दिया जाता है।

इसकी हवा में एक नशा है,
जो यहाँ आता है,
वो धुत हो जाता है।
संयम और समझदारी से ही,
इस से बचा जा सकता है।


-प्रत्यूष गर्ग Pratyush Garg
१६-११-२००९ 16-11-2009

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