आज मेरे मन-मस्तिष्क में,
ये विचार कौंधा कि,
आखिर जिसे कहते हैं खुशी,
वो एहसास क्या है?
क्या वो क्षणिक आनंद,
जो हमें कभी मिला था;
उसे खुशी की श्रेणी में,
रखा जा सकता है?
या वो क्षणभंगुर नशा,
जो किसी जीत के बाद
चढ़ा था; वो खुशी की
गरिमा बढ़ा सकता है?
बहुत चिंतन के बाद,
निष्कर्ष ये निकला कि,
जो निश्चल और निरंकार है,
उसी में खुशी का सार है।
जिसका कोई अंत नहीं,
जिसे अमरता का वरदान है,
जिसे कोई बांध नहीं सकता,
वही खुशी का एहसास है।
-प्रत्यूष गर्ग Pratyush Garg
१८-०८-०९ 18-08-09
2 comments:
wah wah!!
irshaad!
short and meaningful...
आपकी ख़ुशी में हम खुश :)
"ख़ुशी मासूम सी बच्चों की कॉपी में इबारत सी
हिरन की पीठ पर बैठे , परिंदे की शरारत सी.... "
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