Monday, March 23, 2009

23rd March, 1931


Today is the 79th martyrdom day (शहीद दिवस) of the three legends of Indian Independence Movement. Sardar Bhagat Singh, Sukhdev Thapar and Shivaram Rajguru were hanged to death by the British Empire on 23rd March, 1931. No surprises if many of us did not remember it, as we are used to the freedom for which they laid their lives without even bothering about their personal interests, family etc. Anyways I thought of writing something in honor of these martyrs but was stuck with this song from 'Gulaal' movie. What is better homage to them, than to dedicate a song which might be in future become an anthem for another revolution in India. The awesome music and lyrics is given by Piyush Mishra.

आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड,
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या कि जान का हो दान आज,
एक धनुष के बाण पे उतार दो,
आरंभ है प्रचंड...

मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले,
वही तो एक सर्वशक्तिमान है,
विश्व की पुकार है ये भागवत का सार है कि,
युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है,
कौरवों की भीड़ हो या पाँडवों का नीड़ हो,
जो लड़ सका है वो ही तो महान है,
जीत की हवस नहीं, किसी पे कोई वश नहीं,
क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो,
मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यों डरें,
ये जा के आसमान में दहाड़ दो,
आरंभ है प्रचंड...

हो दया का भाव या कि शौर्य का चुनाव या कि,
हार का हो घाव तुम ये सोच लो,
या कि पूरे भाल पर जला रहे विजय का लाल,
लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो,
रंग केसरी हो या मृदंग केसरी हो,
या कि केसरी हो काल तुम ये सोच लो,
जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत,
उस कवि को आज तुम नकार दो,
भीगती मसों में आज फूलती रगों में आज,
आग की लपट का तुम बखार दो,
आरंभ है प्रचंड...

1 comment:

Vaibhav Jain said...

did i tell u my liking for this song?
u really emulated my words. this should obviously be the anthem. whenever i hear this song, i get strong feelings to keep going, no matter what...
awesome work by piyush