Thursday, May 27, 2010

Aaj Tumhara Janmdin Hai (आज तुम्हारा जन्मदिन है)

आज वो दिन आया है,
जिसका सभी को इंतज़ार था,
आज का दिन तुम्हारा दिन है,
आज तुम्हारा जन्मदिन है।

खुशियों से भरा ये लम्हा है,
चारों तरफ़ एक रौनक है,
मुबारक हो तुम्हें ये हसीन पल,
आज तुम्हारा जन्मदिन है।

आज तो जश्न की रात है,
तुम्हारे लिए कुछ खास है,
संजो के रखना ये पल,
आज तुम्हारा जन्मदिन है।

आज तो मस्ती में खोना है,
संग तुम्हारे झूमना है,
साल में सिर्फ़ एक बार है आता,
आज तुम्हारा जन्मदिन है।

सोचा तुम्हें क्या दूँ,
ऐसा मेरे पास क्या है,
ये कविता है तुम्हारा तोहफ़ा,
आज तुम्हारा जन्मदिन है।


-प्रत्यूष गर्ग
२२-०३-२०१०

Bojh (बोझ)

उम्मीदों के बोझ तले दबे ये कंधे,
और उन पर टिका ये मस्तक,
जिस पर गहराती लकीरों के पीछे से झांकती मायूसी,
शायद यही बयां करती है कि कुछ ठीक नहीं है।

अनसुलझे प्रश्नों के भंवर में फंसा ये मन,
जिसमें चिंतन की लहरें उठती तो हैं,
परंतु तट तक पहुँचने से पहले ही,
दम तोड़ देती हैं।

गर्म रेत की चादर पर फैली,
पथरीली चट्टानों सी घबराहट को इंतज़ार है,
पश्चिम की उस बयार का जो अपने साथ बादलों का झुंड लाए,
और प्यासी धरती की आग बुझाए।

तरसता हूँ मैं आज उस मासूम मुस्कुराहट के लिए,
जिसकी खनखनाहट सुन कभी मेरा सवेरा होता था,
अब तो जूझता हूँ मैं अपने ही आप से,
कि शाम ढले किसी तरह अपने डेरे तक पहुँच जाऊँ।


-प्रत्यूष गर्ग
१२-०२-२०१०