Today is Dussehra (Vijay Dashmi). So, I thought to celebrate it by writing a poem.
कहते हैं कि आज के दिन,
श्री राम ने रावण का वध किया था।
घोर बुराई का अंत कर,
संसार को पाप मुक्त किया था।
दस सिरों वाले राक्षस की,
नाभि भेद उसका संहार किया था।
तब से लेकर अब तक हर वर्ष,
हम ये प्रथा निभाते हैं।
कागज़ का रावण बना कर,
उसे हम फिर जलाते हैं।
और इसे बुराई पर अच्छाई की जीत
समझ कर हम खुश हो जाते हैं।
पर कब हम अपने भीतर पलते,
सहस्त्र सिरों वाले रावण को मारेंगे।
नाभि भेद उस राक्षस की अपने,
अंतर्मन को पावन करेंगे।
जिस क्षण ऐसा कुछ हम करेंगे,
उस क्षण दशहरे को हम चरितार्थ करेंगे।
-प्रत्यूष गर्ग Pratyush Garg
२८-०९-०९ 28-09-2009